इस घर पुराने ने बहुत कुछ नया देखा है, चूने की पुताई और डिस्टेंपर का कोट भी देखा है। छोटे बड़े भाई का प्यार, उनकी लड़ाई भी देखी है, छोटे बड़े भाई की पिटाई, उनकी लुगाई भी देखी है। इस घर पुराने ने बहुत कुछ नया देखा है, बेत का सोफा और कुशन लाउन्ज भी देखा है। सुबह की आरती, शाम का व्लॉग भी देखा है, हार जाने का मातम, जश्न जीतों का भी देखा है। इस घर पुराने ने बहुत कुछ नया देखा है, घड़े का सोंधा पानी और इंस्टेंट आइस क्यूब्ज़ भी देखा है। गिरना सीढ़ियों से, उभारना चोटों से भी देखा है, पैरों पे आना, कन्धों पे जाना भी देखा है। इस घर पुराने ने बहुत कुछ नया देखा है, मोमबत्ती की पढाई, लैपटॉप का प्रपोजल भी देखा है। कहानियां बनते भी देखा है, कहानियां लिखते भी देखा है, समय गुज़रते भी देखा है, समय ठहरते भी देखा है।
This blog is about the general pondering any tormenting mind does. Sometimes this mind is in dilemma, sometimes atheist, sometimes rational, sometimes about society, sometimes about love and sometimes...