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Showing posts from July, 2017

खून

इन    खून  में    साने  हाथो    का    कपकपाना    सुन , एक  सकपकाए    दिल    ने    आवाज़    लगाई    फिर से , ‘ क्या    साँस    बाकी    है    अभी ? या    एहसास  हुआ    कोई    ग़लत  फिर    से ?’ आँखों    से  पानी    रिस्ता  देख  लगा , थोड़ी  जान  बाकी  अभी  थी    शायद  उसमे ; अपने    खूनी  की    तरफ  देख , हाथ  उठा  गुहार  लगाई  फिर  उसने | ना    थी  अब  कोई    भावना , ना    प्यार ,   ना  संतवाना ; फिर  भी    उसके    दर्द  से  कराने  आज़ाद , घोत  कर  गला    पड़ा    दबाना | ...