Skip to main content

Posts

What If We Were in a Multiverse?

What if there was a multiverse, where dreams took flight, Where every choice we made, cast a different light? In one, I’m a painter, colors splashed in delight, In another, I’m a sailor, lost in stars so bright. In a universe of melodies, I’m a tune so sweet, Dancing through the cosmos on nimble feet. A poet with words like petals, soft and neat, Crafting worlds where joy and love always meet. Imagine a place where laughter’s the air we breathe, Where every heartache is just a rustling leaf. In one realm, I’m a hero, with no need for grief, Saving dreams, mending hearts, with no disbelief. Through portals of possibilities, my spirit roams, A wanderer of wonder, with infinite homes. In one, I’m a gardener, where happiness blooms, In another, I’m a stargazer, mapping celestial rooms. But here in this world, I wear many faces, Finding joy in the simplest places. And when others look, they see traces, Of the multiverse within, in their warm embraces. Every glance, every smile, shows what I
Recent posts

घर

इस घर पुराने ने बहुत कुछ नया देखा है, चूने की पुताई और डिस्टेंपर का कोट भी देखा है।  छोटे बड़े भाई का प्यार, उनकी लड़ाई भी देखी है, छोटे बड़े भाई की पिटाई, उनकी लुगाई भी देखी है। इस घर पुराने ने बहुत कुछ नया देखा है, बेत का सोफा और कुशन लाउन्ज भी देखा है।  सुबह की आरती, शाम का व्लॉग भी देखा है, हार जाने का मातम, जश्न जीतों का भी देखा है।  इस घर पुराने ने बहुत कुछ नया देखा है, घड़े का सोंधा पानी और इंस्टेंट आइस क्यूब्ज़ भी देखा है।   गिरना सीढ़ियों से, उभारना चोटों से भी देखा है, पैरों पे आना, कन्धों पे जाना भी देखा है।  इस घर पुराने ने बहुत कुछ नया देखा है, मोमबत्ती की पढाई, लैपटॉप का प्रपोजल भी देखा है।  कहानियां बनते भी देखा है, कहानियां लिखते भी देखा है, समय गुज़रते भी देखा है, समय ठहरते भी देखा है। 

You have colours, You can sing

Amidst petals and blooms, two siblings play, A butterfly, with wings that catch the light, A nightingale, with songs that fill the day, Both dancing in the garden, a sight so bright. The butterfly boasts, "Look at me, So pretty, wild and free, I fly so high and see the world with glee, My beauty, everyone falls in love to see." The nightingale replies, "But what of me, Without my songs, what would you be? My tunes bring life to every petal and tree, Without my music, the garden is just a lifeless sea." The butterfly retorts, "But without me, Your songs would not have a home to be, My flowers, they are the canvas to your tune, Together we make magic under the moon." The nightingale says, "Your flowers may be lovely, But my music lingers on like a serenade, My songs bring life to every petal and tree, Without me, your beauty would just quickly fade." The siblings, both right, yet both wrong, Realize they were vital parts of the same song, Together,

इंतेज़ार

दिन भर उस चबूतरे पे बैंठ, हाथों से पान में उन डलियों को ऐंठ, देर तक उस गलियारे को देख, इंतेज़ार किसी अपने का ही वो करती थी। पुराने सलवार और कमीज को सिल, बच्चों की शर्तों में कहीं जोड़, कहीं चक्ति। बस एक वो पानदान, और वो सिलाई मशीन, जाने कितने ही साल इंतेज़ार वो करती रही। कभी आता था वो, कभी नही भी, पर इंतेज़ार होता पूरा नही। कभी थोड़ा बैठ बातें करते थे शायद, पर इंतेज़ार होता पूरा नही। इंतेज़ार शायद उस शक्स का नही, उसके जज़्बातों का था उसको। कुछ लफ्ज़ सुनने का, कुछ गीत सुनाने का था उसको। बहुत पहले ही ब्याह के आयी थी, न ज़्यादा थे ख्वाब, न ज़्यादा उम्मीद। बस एक ख्वाब, बस एक वही, दो लफ्ज़ प्यार, एक प्रेम गीत। अक्सर श्रृंगार कर उसको रिझाती, रंग गुलाबी गालों पे लगाती, पर न सुन पाती वो लफ्ज़ उससे, न वो गीत सुना पाती। हर बार, हर बात उसके गालों पे रुक जाती थी। हर बार, हर बात उनपे पटाखों सी बज जाती थी। अक्सर उसका रूह बन जाने का मन करता, पर फिर अगले रोज़, वो इंतेज़ार में बैठ जाती थी। 

Ode on an evanescent flower

In shades of pink and shades of white, As an armor of a plucky knight; At a certain point of day in time, Thou beauty of the summer, thou shine. Three days for the life you wait, Three days to come off your adolescent age; Three days until that green bud sprouts, Three days until your Beauty you flout. Awaiting a time long you once shine, At a morning that all, but you, whine; No sorrow no sign of meloncholy you show, Even though this life you live is miniscule of a blow. Thine head held high with pride, Thine salute to the sun, big smile; Thine beauty above all at prime, Thou Beauty of summer, thou shine. This is the pride that envies me above all, The pride in spite of a life so small; A day thou have, a day that's all, Then too you live life so gay, so tall. With the cheer thou spread across horizons wide, With colours which as the sun, or even bright; The lesson you teach across generations wide, A life lived large is a

पुनर्जन्म-1

पहला ही पग रख जो देखा एक माता ने, ना सह सकता है कोई जहाँ; मौन थे देव सारे, और धड अलग पडा था पुत्र का। घुटनो पे बैठ उस माता ने चिल्लाया, धड उठा अपनी गोध मेँ समाया; अश्रु बह उन गालो से उतरे, निरजीव बालक की क्षाति को भिगाया। सीने से लगा कर रोयीं वो कुक्ष देर, दुखी थे सारे देवगढ, और देव; सर छुकाये थे खडे त्रिशूल-धारी भी, इस त्रिशूल से ही भूल कर बैठे थे वे। "किस्का है ये पाप यहाँ, एक बालक पर करा पृहार किसने? पुत्र मेरा है मृत पडा, ये पाप घोर किया किस्ने?" प्रचंड स्वरूप में आई वो देवी, आक्रोष से थी आँखे लाल; था क्रोध उनके उस सुंदर मुख पे, था हाथों मे उस बालक का गुलाल। थर थर कापी धरती उस दिन, गगन भी भय से लगा कापने; विराठ रूप देख उस देवी का, आग्रह सारे देव लगे करने। "आज कर दूंगी नाश इस सृष्टि का, आज सूख जायेंगी नदियां और पेड; आज कर दूंगी विनाश इन जीवो का, कर इस आकाश को भेद।" धरती पर लाल त्रिशूल रख, हाथ जोड़ आऐ नीलकंठ समक्ष; अश्रु उनके भी थे लगे बहने, "आपका पापी है खड़ा प्रत्यक्ष। इस बालक का हठ था कारण, अड़ गया था द्वार पर; सम

खून

इन    खून  में    साने  हाथो    का    कपकपाना    सुन , एक  सकपकाए    दिल    ने    आवाज़    लगाई    फिर से , ‘ क्या    साँस    बाकी    है    अभी ? या    एहसास  हुआ    कोई    ग़लत  फिर    से ?’ आँखों    से  पानी    रिस्ता  देख  लगा , थोड़ी  जान  बाकी  अभी  थी    शायद  उसमे ; अपने    खूनी  की    तरफ  देख , हाथ  उठा  गुहार  लगाई  फिर  उसने | ना    थी  अब  कोई    भावना , ना    प्यार ,   ना  संतवाना ; फिर  भी    उसके    दर्द  से  कराने  आज़ाद , घोत  कर  गला    पड़ा    दबाना | स्थिर  हो    गये  उसके  फड़फदते  पैर , हाथ ,   और  शांत  हो  गयी  उसकी  चीख ; पर  इस  सन्नाटे  में  भी    सुनाई  दे  रही  थी , उसके  जीवन  जीने  की    रीत | हमेशा    खुशी  को    पाने  का    सोचती  थी , सपनो    में    रहती  खुश ; हर    सपना  उसका  था    अधूरा , फिर  भी    जीवन  जीती  थी    बिना  किसी  अंकुश | सीखने  को    बहुत  कुछ  था    उससे , कुछ    नही  तो  खुशी    का    राज़  ही  ब